
स्पोर्ट्स डेस्क : इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का 2025 संस्करण कई मायनों में खास रहा है, लेकिन 14 साल के वैभव सूर्यवंशी ने जो कारनामा किया, उसने इतिहास रच दिया।
समस्तीपुर, बिहार के छोटे से गाँव से निकलकर वैभव ने आईपीएल में मात्र 38 गेंदों पर 101 रन बनाकर सोशल मीडिया पर भावनाओं का ज्वार ला दिया। यह पारी केवल तेज शतक भर नहीं थी, यह बिहार के सपनों और संघर्ष की कहानी भी थी।
वैभव ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ, मोहम्मद सिराज, राशिद खान और वाशिंगटन सुंदर जैसे इंटरनेशनल गेंदबाजों के सामने यह पारी खेली। उनकी स्ट्राइक रेट 266 से अधिक रही, जिसमें 7 चौके और 11 छक्के शामिल थे। इससे वह आईपीएल में सबसे तेज शतक लगाने वाले भारतीय और लीग इतिहास में दूसरे सबसे तेज शतक के मालिक बन गए हैं।
वैभव की यह कामयाबी केवल खेल की नहीं, बल्कि एक सामाजिक कहानी भी है। एक ऐसे राज्य से जहाँ खेल की बुनियादी ढांचे का अभाव है, जहाँ स्टेडियमों की हालत बदतर है, जहाँ खिलाड़ियों के लिए उचित प्रशिक्षण अकादमियां नहीं हैं—वहाँ से निकलकर वैभव ने यह मुकाम हासिल किया है।
मोइनुल हक स्टेडियम, जो एक समय अंतरराष्ट्रीय मैचों का गवाह था, अब जर्जर स्थिति में है। कई जिलों के स्टेडियम पशुओं के चारागाह बन चुके हैं। फिर भी बिहार के बच्चों का जज्बा कम नहीं हुआ। वैभव की सफलता इसी जिद और जुनून का प्रतीक है।
यह सफलता उन तमाम प्रतिभाओं का भी प्रतीक है जो व्यवस्था की उदासीनता के चलते दब गईं। वैभव ने साबित किया है कि अगर प्रतिभा को थोड़ी सी भी उड़ान मिलती है, तो वह आसमान छू सकती है।
वैभव सूर्यवंशी की यह उपलब्धि बिहार के हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को जिंदा रखे हुए है।