
पटना | बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चलाया जा रहा मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) तेजी पकड़ चुका है। अब तक इस अभियान के तहत 1.5 करोड़ से अधिक घरों में वोटर फॉर्म पहुंचाए जा चुके हैं, जो कि लक्ष्य का लगभग 87% हिस्सा है।
Booth Level Officers (BLOs) ने घर-घर जाकर फॉर्म 6 (नया मतदाता), 7 (नाम हटाने), 8 (जानकारी में सुधार) और 8A (मतदाता स्थानांतरण) वितरित किए हैं। आयोग ने 1 जून से अभियान की शुरुआत की थी, और इसे जुलाई के अंत तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों और चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए। साथ ही, आयोग ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे अपने Booth Level Agents (BLAs) को सक्रिय करें, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या भेदभाव से बचा जा सके। अब तक लगभग 56,000 से अधिक BLAs की तैनाती हो चुकी है।
हालांकि इस प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक विवाद भी गहराने लगे हैं। विपक्षी महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल) ने आरोप लगाया है कि कमजोर वर्गों — खासकर दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों — के मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं। वहीं, सत्तारूढ़ NDA गठबंधन इस अभियान को लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम बता रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह पुनरीक्षण अभियान चुनावी परिणामों को प्रभावित करने की शक्ति रखता है, और इसलिए इसमें प्रशासन, राजनीतिक दलों और आम जनता — सभी की सक्रिय भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।