
पटना, 20 अप्रैल: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि वे ज्यादा समय तक केंद्र की राजनीति में नहीं रहना चाहते। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उनके इस बयान को राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
चिराग पासवान ने कहा, “मेरी राजनीति की नींव ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ पर टिकी हुई है। मेरा प्रदेश मुझे बुला रहा है। मेरे पिता रामविलास पासवान केंद्र में थे, लेकिन मेरी प्राथमिकता बिहार है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि वे 2025 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन 2030 से पहले बिहार की राजनीति में पूरी तरह लौट आएंगे।
चिराग ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता और युवा लगातार उनसे बिहार में सक्रिय राजनीति में लौटने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मेरी सभाओं में उमड़ती भीड़ इस बात का संकेत है कि बिहार में मेरी जिम्मेदारी बनती है।”
बीजेपी की प्रतिक्रिया
भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने चिराग के बयान का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान के रूप में चर्चित चिराग पासवान का बिहार में सक्रिय राजनीति में लौटना एनडीए के लिए शुभ संकेत है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “रामविलास पासवान ने केंद्र में रहकर बिहार के विकास में अहम भूमिका निभाई थी। अब चिराग पासवान भी उनके पदचिन्हों पर चलकर राज्य में दलित समाज को नई दिशा देंगे।”
विशेषज्ञों का मानना है कि चिराग पासवान का यह रुख बिहार में एनडीए की रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है, विशेषकर दलित वोटबैंक को एकजुट करने में।