
अंतरराष्ट्रीय डेस्क | पश्चिम एशिया में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने अब खुले युद्ध का रूप ले लिया है। बीते दो दिनों में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर बड़े पैमाने पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं, जिससे भारी जान-माल की क्षति हुई है।
इज़राइल ने 13 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत ईरान के कई महत्वपूर्ण सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इस हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड (IRGC) के वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक और नागरिक मारे गए। लक्ष्य में नतांज और फोर्दो जैसे परमाणु केंद्र शामिल थे। ईरान ने इन हमलों को “आक्रामक और युद्ध की घोषणा” बताया।
जवाबी कार्रवाई में ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III’ लॉन्च किया और 150 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें व 100 ड्रोन इज़राइल की ओर दागे। इन हमलों में तेल अवीव, हाइफा और याफा जैसे शहरों को निशाना बनाया गया। अब तक इज़राइल में 10 लोगों की मौत और 170 से अधिक घायल होने की पुष्टि हुई है।
अमेरिका ने इज़राइल को रक्षा सहयोग देते हुए मिसाइल डिफेंस सिस्टम की सहायता भेजी है। वहीं रूस, चीन और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत की अपील की है।
इस संघर्ष के कारण तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी आई है और मध्य पूर्व में अस्थिरता का खतरा और बढ़ गया है। इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने चेतावनी दी है कि “तेहरान तक का रास्ता खुला है” और यदि हमला जारी रहा, तो ईरान को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।