
पटना : बिहार के दानापुर विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक रीतलाल यादव ने 17 अप्रैल 2025 को दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। उनके साथ उनके सहयोगी चिक्कू यादव, पिंकू यादव और श्रवण यादव ने भी कोर्ट में सरेंडर किया। इन पर पटना के एक प्रमुख बिल्डर से जबरन वसूली, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और जान से मारने की धमकी देने के गंभीर आरोप हैं। पुलिस ने पहले इनके ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 10.5 लाख रुपये नकद, 77 लाख रुपये के चेक, 14 संपत्ति से संबंधित दस्तावेज, 17 चेकबुक, छह पेन ड्राइव और एक वॉकी-टॉकी बरामद किए गए थे।
रीतलाल यादव का विवादित इतिहास
रीतलाल यादव का राजनीतिक और आपराधिक इतिहास विवादों से भरा रहा है। वे 2010 में कई आपराधिक मामलों में कोर्ट में सरेंडर कर चुके थे और जेल से ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़े थे, हालांकि तब वे हार गए थे। इसके बाद, 2015 में उन्होंने जेल में रहते हुए बिहार विधान परिषद (एमएलसी) का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा और जीत हासिल की। 2020 में रीतलाल ने राजद के टिकट पर दानापुर से विधानसभा चुनाव लड़ा और बीजेपी की आशा देवी सिन्हा को हराकर विधायक बने। रीतलाल पर हत्या, जबरन वसूली, अपहरण और जमीन हड़पने जैसे 42 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिसमें बीजेपी नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या का मामला भी शामिल है।
इस घटना के बाद राजद पर विपक्षी दलों ने निशाना साधा है। भाजपा ने रीतलाल यादव समेत तीन विधायकों को वांटेड बताते हुए पोस्टर जारी किए हैं और राजद पर आपराधिक तत्वों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।