
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अब पूरी तरह से गरमा चुका है। एक ओर जहां महागठबंधन (INDIA) ने तेजस्वी यादव को अपना चेहरा बना दिया है, वहीं दूसरी ओर एनडीए (NDA) ने भी प्रचार और रणनीति में पूरी ताकत झोंक दी है। 17 अप्रैल को पटना में हुई महागठबंधन की बैठक में यह तय किया गया कि चुनावी लड़ाई तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ी जाएगी। हालांकि, अभी तक मुख्यमंत्री पद का औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है और सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला 15 मई के बाद लिया जाएगा।
इस बीच सी-वोटर के ताज़ा सर्वे में जनता का रुझान भी देखने को मिला है। सर्वे के मुताबिक, 36% लोगों ने तेजस्वी यादव को अगला मुख्यमंत्री बनने की पहली पसंद बताया है, जबकि 17% लोग प्रशांत किशोर के पक्ष में हैं। नीतीश कुमार को 15% लोगों का समर्थन मिला है। यह आंकड़े बताते हैं कि तेजस्वी यादव की लोकप्रियता बढ़ी है, लेकिन प्रशांत किशोर जैसे गैरराजनीतिक चेहरे भी जनता के बीच असर डाल रहे हैं।
वहीं एनडीए की तरफ से अब तक सीएम चेहरे की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन जेडीयू की ओर से “25 से 30 फिर से नीतीश” जैसे नारों के ज़रिए इशारा दे दिया गया है कि नीतीश कुमार ही गठबंधन के चेहरे हो सकते हैं। बीजेपी, जेडीयू, हम और लोजपा (पशुपति पारस गुट) मिलकर चुनावी समर में उतरने की तैयारी कर चुके हैं।
चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है, आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया है। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने तेजस्वी यादव पर शराब तस्करों से संबंध होने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी शराब के अवैध धंधे में लिप्त लोगों से आर्थिक लाभ लेते हैं और उनकी सुरक्षा करते हैं। इसी तरह उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने भी आरजेडी को माफियाओं और ठेकेदारों का समर्थन मिलने की बात कही है। सम्राट चौधरी ने यहां तक कहा कि तेजस्वी यादव बालू और शराब माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं।
विपक्ष की ओर से भी पलटवार किया गया है। तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार, अपराध और रोजगार के मुद्दे पर हमला बोला है। उनका कहना है कि नीतीश कुमार की सरकार अब थक चुकी है और युवाओं को सिर्फ जुमले दिए जा रहे हैं। उन्होंने बीजेपी और जेडीयू पर संविधान विरोधी काम करने का आरोप लगाया और दावा किया कि बिहार में बदलाव की लहर चल रही है।
इस बार का चुनाव ‘सुशासन बनाम कुशासन’, ‘युवा बनाम पुराना चेहरा’ और ‘तेजस्वी बनाम नीतीश’ की टक्कर के रूप में देखा जा रहा है। एनडीए जंगलराज, भ्रष्टाचार और तेजस्वी के पुराने केसों को उठाकर जनता को डराने की कोशिश कर रही है। तेजस्वी यादव के खिलाफ 11 केस दर्ज हैं, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र जैसे आरोप हैं।
अब बिहार की जनता के सामने बड़ा सवाल यह है कि वे अगले पांच सालों के लिए किसे मौका दें? एक युवा नेता जो बदलाव की बात करता है, या एक अनुभवी नेता जो विकास और सुशासन का दावा करता है?
जवाब आने वाले महीनों में ईवीएम के ज़रिए मिलेगा, लेकिन इतना तय है कि इस बार की लड़ाई बेहद दिलचस्प और कांटे की होगी।