
रांची : झारखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच विवाद गहरा गया है। केंद्र सरकार ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को नियमों के विरुद्ध बताते हुए 30 अप्रैल को रिटायर करने का निर्देश जारी किया है। वहीं, झारखंड सरकार इस निर्णय को चुनौती देने की तैयारी में है और जल्द ही गृह मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट भेज सकती है।
क्या है विवाद:
22 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति राज्य सरकार के नियमों के अनुसार हुई है, लेकिन वह अखिल भारतीय सेवा नियम 1958 के तहत मान्य नहीं है। केंद्र का कहना है कि गुप्ता 30 अप्रैल को 60 वर्ष के हो रहे हैं और उन्हें सेवा विस्तार देने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है – जो अब तक नहीं दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का हवाला:
पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि कोई भी राज्य ऐसा नियम लागू नहीं कर सकता जो राष्ट्रीय सेवा नियमों के खिलाफ हो। नियम 16(1) के तहत 60 वर्ष की उम्र के बाद सेवा विस्तार केवल केंद्र की मंजूरी से ही संभव है।
राज्य सरकार का पक्ष:
झारखंड सरकार का कहना है कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति राज्य कैबिनेट के फैसले पर आधारित है और उसे पूरी प्रक्रिया के तहत नियमित किया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रांची लौटने के बाद इस पर अंतिम फैसला हो सकता है। राज्य सरकार केंद्र को भेजे जाने वाली रिपोर्ट में इस नियुक्ति को संविधान सम्मत और नियमों के अनुरूप बताएगी।
क्यों अहम है मामला:
अनुराग गुप्ता को डीजीपी पद पर दो साल की तय अवधि के लिए नियुक्त किया गया है। लेकिन अगर केंद्र के आदेश का पालन हुआ तो उन्हें 30 अप्रैल को ही पद छोड़ना होगा। ऐसे में झारखंड में नए डीजीपी की नियुक्ति का रास्ता साफ हो सकता है।